उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में सांस्कृतिक नगरी के नाम से मशहूर अल्मोड़ा जिला यूं तो आस्था व पर्यटन का केंद्र है।
इस शहर में कई ऐसे स्थल हैं जहां जाकर आधात्मिक सुख व आत्मसंतुष्टि की अनुभूति होती है।
इन्हीं स्थलों मे से एक बहुत ही प्रचलित स्थल है
गोलू देवता का चितई मंदिर अल्मोड़ा।
यह मंदिर समुद्र तल से १६३० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ।
स्थानीय लोगों के बीच यह मंदिर त्वरित न्याय हेतु काफी प्रसिद्ध है।
गोलू देवता को गौर भैरव के नाम से भी जाना जाता है जो कि भगवान शिव का ही रूप है। स्थानीय लोग इन्हें *गोलजू* भी कहते हैं ।
एक मान्यता के अनुसार यदि आप अपनी मनोकामना स्टाम पेपर पर या कोरे कागज़ पर लिख कर आप मंदिर में टांगते हैं,तो आपकी मनोकमना जरूर पूरी होती है।
इस मंदिर से यू तो कई लोककथाएं प्रचलित हैं लेकिन मंदिर के पुजारी जी के अनुसार प्राचीन समय में यहां एक राजा हुआ करता था, जिसकी सात रानियां थी,परन्तु उस राजा की एक भी संतान न थी। एक दिन वह राजा जंगल शिकार खेलने गया था वहीं उसने एक कन्या को देखा जो दो गायों जिनके बीच लड़ाई हो रही थी उन्हें छुटाने की कोशिश कर रही थी, कन्या की बहादुरी से मुग्ध होकर राजा ने कन्या के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा और कन्या ने प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की। एक दिन राजा को स्वपन हुआ कि उसकी पत्नी के गर्भ से स्वयं भगवान शिव ने जन्म लिया है।
कहा जाता है कि रानी ने जब बच्चे को जन्म दिया तो अन्य रानियों ने ईर्ष्या के वसीभूत होकर दाई के साथ मिलकर उस बालक को सिलबट्टे के साथ बदल दिया, और बच्चे को नदी में बहा दिया, तब एक मछुवारा जिसने उस बच्चे का पालन पोषण किया। एक दिन जब बच्चे के साथ मछुवारा महल में राजा के समुख प्रस्तुत हुआ तो उस नन्हा बालक अपने लकडी के खिलौने को पानी पिलाने की कोशिश कर रहा था तब वहां उपस्थित रीनियो ने हस्ते हुए कहा कि - यह खिलौना जो की निर्जीव है वह पानी नहीं पायेगा।तब बच्चे ने मुस्कुराते हुए कहा कि जब एक औरत पत्थर को जन्म दे सकती है तो यह पानी क्यों नही पी सकता।।और वह बालक अचानक गायब हो गया।।तब राजा को सारी बात समझ आ गई।।तो इस प्रकार गोलू देवता का प्रथम न्याय अपनी माता के लिए था।।तब राजा ने इस मंदिर का निर्माण किया था।इस मंदिर का निर्माण लगभग १८ वीं सताब्दी में हुआ था।।
तब से कहा जाता है कि आज भी जब कोई श्रद्धालु इस मंदिर में अपने साथ हुए अन्याय को एक कागज पर या स्टाम पेपर पर लिखकर न्याय की गुहार लगता है तो तब गोलू देवता जिसे हिन्दू समाज में न्याय के देवता के रूप से भी जाना जाता है, वे अपने भक्त को शीघ्र न्याय देते हैं।।मंदिर परिसर में लाखों अर्जियों को स्पष्ठ रुप से देखा जा सकता है।।
इच्छा पूर्ति होने पर
श्रद्धालु यहां वापस आकर घंटी अर्पित कर गोलजू ( गोलू देवता ) की पूजा करते हैं। मंदिर परिसर में लाखों घंटियो की कतारें दर्शनीय हैं।।
और यह केवल मान्यता या लोककथा नहीं है वरन् लाखो श्रद्धालुओं ने अपने साथ हुए न्याय की पुष्टि की है।।
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