Why i killed Gandhi


लगभग 200 साल की गुलामी के बाद आंखिरकर  १५ अगस्त १९४७ भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन आया इसी दिन भारतीयों को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी और भारत एक स्वंत्रत गणराज्य के रूप में स्थापित हुआ था।

यूं तो स्वंत्रता की इस लड़ाई में कई लोगों ने अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई कई लोगों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों तक की आहुति दे दी,और अंग्रेजो को देश से भागने पर मजबूर कर दिया। 

यहांमुख्य रूप से दो प्रकार की विचारधारा के लोग थे एक तो वे जो हिंसा से आजादी दिलाने का प्रयास कर रहे थे और दूसरे वो लोग जो सत्य अहिंसा की विचारधारा के आधार पर शांति के मार्ग पर चलकर आजादी के लिए प्रयासरत थेइन्हीं में से एक थे राष्ट्रपिता,बापू, अहिंसा के पुजारी,मोहन इत्यादि कई नामों से प्रचलित गांधी जी जिन्होंने सत्य अहिंसा की विचारधारा के आधार पर अंग्रेजो के छक्के छुड़ा दिए।

लेकिन 30 जनवरी 1948 को इस महान राजनेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई।महत्मा गांधी के पक्ष से तो हम भली भांति वाकिफ हैं आज हम एक हत्यारा नाथूराम गोडसे जिसने गांधी जी की गोली मारकर हत्या की उसके पक्ष से जानने का प्रयास करते हैं कि आंखिकार उसने गांधी जी की हत्या क्यों की....

Gandhi

30 जनवरी 1948 को गोडसे ने गांधी को गोली मारी थी और इसके अगले ही साल फरवरी में उसकी  कोर्ट में पेशी हुई जहां उसे Deth by hanging यानी फांसी की सजा दी गई और उसके साथियों ने पंजाब हाई कोर्ट के सामने माफी की अपील की थी लेकिन उसकी अपील खराजा कर दी गई।
मारने से पहले नाथूराम गोडसे अपनी किताब "Why I killed Gandhi" में लिखते हैं कि मेरा जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था,बचपन से ही मुझे सनातन धर्म की शिक्षा दीक्षा मिली थी।मेरा hindusim में काफी यकीन था और मै RSS से भी जुड़ा था।और anticast मोमेंट से भी जुड़ा था। मेरा मानना था कि हिन्दुओं को उनकी जाति संप्रदायके आधार पर बटना गलत है।मेरा मानना था कि सब हिन्दू समान हैं।

सबसे बढ़कर मुझे गांधी जी और वीर सावरकर ने सालों से मुझे और मेरे जैसे कई करोड़ भारतीयों को काफी हद तक प्रभावित किया है इनके विचारों से मैंने जो कुछ भी सीखा है उससे  मुझे लगता है कि मुझे हिंदू धर्म और अपने हिंदू भाइयों और बहनों की सेवा करनी चाहिए।मैंने खुद अपना जीवन हिंदू संगठन आईडियोलॉजी को समर्पित कर दिया है मेरा एक ही लक्ष्य है और वह है कि अपनी मां भारती की आजादी को बचाए रखना। कांग्रेस पार्टी में 1920 तक गांधीजी का स्थान काफी बढ़ गया था जब लोकमान्य तिलक,कांग्रेस पार्टी और पूरे देश में गांधीजी ने जो सत्य और अहिंसा की बात की थी उससे हर कोई सहमत था।लेकिन मेरे हिसाब से  सच तो यह है कि बात अगर बात  खुद की हो या अपने परिवार की हो तब  इंसान किसी और को तकलीफ देने में जरा भी नहीं है डरेगा।  कोई हमारे साथ गलत करे तो उसका जवाब देना ही होगा।रामायण में राम ने सीता को बचाने के लिए रावण को मारा था महाभारत में कृष्ण ने कंस का वध किया था अर्जुन ने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को मारा था क्योंकि वो सभी  उसके दुश्मन के साथ खड़े थे अगर गांधी के हिसाब से राम कृष्ण और अर्जुन गलत है तो उसका मतलब है  कि वो इंसान की काबिलियत पर शक कर रहे हैं।अगर हम बात करे अफजल खान की जो  हिंदुस्तान में मुस्लिम राज्य स्थापित करना चाहता था लेकिन छत्रपति शिवाजी ने उसका यह सपना कभी पूरा नहीं होने दिया अगर शिवाजी पूरी ताकत से उसका मुकाबला नहीं करते शायद खुद अफजल के हाथों मारे जाते लेकिन गांधीजी शिवाजी गुरु गोविंद सिंह और महाराणा प्रताप की निन्दा करते हैं।उनका मानना है कि अहिंसा का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए।

लेकिन मैं तो गांधीजी को समझता हूं कि अहिंसा के नाम पर उन्होंने देश को मुसीबत में डाला है।हर हिंदुस्तानी को शिवाजी प्रताप और गुरु गोविंद सिंह जैसे महान नायकों की पूजा करनी चाहिए क्योंकि असल में इन्हीं लोगों की वजह से हमें आजादी मिली है पिछले 32 सालों से गांधीजी जो आंदोलन कर रहे हैं इस बात का यकीन दिलाता है कि उन्हें राजनीति छोड़ देनी चाहिए।।
लेकिन उनके इंडिया लौटने के बाद से हमारे देश में काफी कुछ बदल चुका है और मुझे लगता है कि गांधी जी शायद यह समझते हैं कि सही क्या सही है और क्या गलत  है इस बात का फैसला सिर्फ वो ही कर सकते हैं अगर लोग उन्हें लीडर मानने से इंकार कर दें तो वह कांग्रेस छोड़कर अपने रास्ते चले जाएंगे, उन्होंने चाहिए कि या तो उनके हिसाब से चलो या फिर उनके बिना कांग्रेस पार्टी चलाओ।गांधी एक के बाद एक गलती करते रहे उनके लिए फैसलों ने इस देश को खतरे में डाला है एक बार नहीं बल्कि कई बार उन्होंने जब हिंदुस्तानी को नेशनल लैंग्वेज बनाने की सिफारिश की थी,लेकिन हिन्दुस्तानी जैसे तो कोई भाषा है ही नहीं यह तो दरसअल हिन्दू और उर्दू भाषा का मिश्रण है।जबकि असल में तो हिंदी भाषा ही हमारी नेशनल लैंग्वेज होने का हक रखती है।शुरुआत में गांधी ने भी इसे  सपोर्ट किया था लेकिन जब उन्हें लगा कि मुसलमान इस बात का बुरा मान सकते हैं तो उन्होंने खुद को हिंदुस्तानी भाषा का चैंपियन बताया जबकि ऐसी कोई भाषा है ही नहीं।। खुद को मुसलमानों का दिखाने के लिए गांधी ने हिन्दुस्तानी को प्रमोट किया है और उनके चाहने वाले चमचों ने भी।
30 सालों की तानाशाही के बाद गांधी ने हासिल किया कि  उन्होंने पाकिस्तान बनने दिया। यहां तक कि इस फैसले को नेहरू ने भी मंजूरी दे दी जिससे वह कुर्बानी से हासिल की गई आजादी बोलते हैं लेकिन कुर्बानी दी किसने गांधी ने उस आदमी ने जिसे हम भगवान मानते हैं उसी ने भारत के टुकड़े किए और मेरे अंदर जो नफरत और गुस्से की आग बन रही है उसे मैं चाह कर भी रोक नहीं सकता।। गांधी ने आमरण अनशन किया ताकि हिंदी रिफ्यूजी दिल्ली की मस्जिदों को छोड़ दें लेकिन जब पाकिस्तान में हिंदुओं पर अटैक हुआ गांधी ने तब उस समय एक शब्द नहीं बोला तब क्यों नहीं उन्होंने पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ प्रोटेस्ट किया क्यों उन्होंने गुनाहगारों को सजा देने की मांग नहीं की, क्यूंकि उसे मालूम है कि इस बात से मुसलमानों को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।।बहुत से लोग गांधी को फादर ऑफ नेशन बोलते हैं उन्होंने देश के टुकड़े करवा कर भारत माता के साथ गद्दारी की है।गांधी फादर ऑफ इंडिया नहीं है फादर ऑफ पाकिस्तान है।

मैं आज कोर्ट के सामने अपना जुर्म कबूल करता हूं और जो भी सजा मिलेगी मुझे मंजूर है और ना ही मैं किसी से अपने लिए दया की कोई  उम्मीद करता हूं क्योंकि मेरे हिसाब से मैंने जो किया वह सही है। इसलिए मुझे अपने किए का कोई पछतावा नहीं है।।

मैं यह नहीं  कहता कि उन्होंने देश के लिए कुछ नहीं किया अफ्रीका में उन्होंने हमारे हिंदुस्तानी भाइयों के लिए जो कुछ भी किया है उसकी मैं तारीफ करता हूं वहां के हिंदू कम्युनिटी के लोगों के उत्थान में उनका योगदान सराहनी है।।

मुस्लिम लीग ने कई सारे हिंदुओं को मारा है जब बंगाल से लेकर करांची तक हिंदुओं का खून बहाया जा रहा था उन्हें बेरहमी से कत्लेआम किया जा रहा था, मुस्लिम लीग ने उस वक्त की गवर्नमेंट की धज्जियां उड़ा दी थी तब गांधी ने उन्हें सपोर्ट किया।मुस्लिम्स ने जिस तरह से हिंदुओं के साथ गद्दारी और दोगलापन किया था उतना ही गांधी ने उन्हें सपोर्ट किया लॉर्ड वावेल को रिजाइन करना पड़ा क्योंकि अब  परिस्थितियां उनके कंट्रोल से बाहर हो चली थी तब उसकी जगह लॉर्ड माउंटबेटन आया।।अब इंडियन कांग्रेस के गले में फंदा था कांग्रेस ने चुपचाप जिन्ना के सामने घुटने टेक दिए और पाकिस्तान को मंजूरी दे दी। ये वही कांग्रेसी थे जो हमेशा राष्ट्रवाद की बात करते थे यह देश की बदकिस्मती ही कही जाएगी कि देश दो टुकड़ों में बांट गया था 15 अगस्त 1947 के दिन इंडिया का एक तिहाई हिस्सा हमेशा के लिए दूर हो गया था और कांग्रेस ने लॉर्ड माउंटबेटन की तारीफों के पुल बांध दिए और कहा हिंदुस्तान के इतिहास में लॉर्ड माउंटबेटन जैसा महान गवर्नर जनरल और वायसराय आज तक नहीं हुआ लेकिन जो कुछ भी हुआ उसका खामियाजा हमारे  देश को बटवारा करके चुकाना पड़ा।

गांधी की अहिंसा उनकी आत्मशक्ति  उनके अहिंसा के सिद्धांत सब जिन्ना के पैरों तले कुचले गए। और मैं यह भी जानता हूं कि गांधी को मारते ही मेरी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी मैं जानता हूं कि बहुत से लोग यह सब पढ़ने के बाद मुझसे नफरत करेंगे मैं यह भी जानता हूं कि मेरी लाइफ बर्बाद हो जाएगी लेकिन मैं यह भी जानता हूं कि गांधी के बिना भारत की राजनीतिक सत्ता और ज्यादा मजबूत होगी।मेरी आखिरी इच्छा यही है कि हमारा देश और प्रैक्टिकल फैसले लेकर आगे बढ़े क्योंकि मेरे हिसाब से एक स्ट्रांग नेशन बनाने के लिए एक बहुत जरूरी  है।

मैं अपने एक्शंस की पूरी जिममेदारी लेता हूं, मैं जिस बात पर यकीन रखता हूं उसे मैंने जी जान से पूरा किया 30 जनवरी 1948 को उस दिन बिरला हाउस में गांधी पर मैंने ही गोली चलाई थी मेरे निशाने पर वह इंसान था जिसके उसूलों और कारनामों ने देश के करोड़ों हिंदुओं की जिंदगी से खिलवाड़ किया था ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत गांधी को उसके किए की सजा मिले इसीलिए यह काम मैंने अपने हाथ में ले लिया।मैं गवर्नमेंट में से किसी एक पर इल्जाम नहीं लगा रहा बल्कि पूरे संगठन पर ही भरोसा नहीं है। कांग्रेस की पॉलिसी हमेशा एकतरफा रही और उन्होंने कभी भी हिंदुओं के साथ न्याय नहीं किया और हमेशा मुस्लिमों की तरफदारी की और इसके पीछे भी गांधी का ही हाथ है। इसमें जरा भी सक नहीं  कि प्राइम मिनिस्टर नेहरू के भाषण और एक्शन एकदम बेबुनियादी हैं वो बोलते हैं कि इंडिया एक धर्मनिरपेक्ष (Secular)देश है यदि ऐसा है तो फिर उन्होंने पाकिस्तान बनने की मंजूरी कैसे दे दी जो की एक धर्मशासित (Thiocratic)देश है।गांधी के मुस्लिम प्रेम ने ही नेहरू के लिए रास्ता आसान कर दिया था।

तो ये थे नाथूराम गोडसे के विचार जो उन्होंने मारने से पहले अपनी किताब Why I Killed Gandhi में लिखे थे।उसने सही किया या गलत इस पर तो स्पष्ट रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि लोगों के बीच वैचारिक मतभेद सम्भव है। लेकिन इससे यह तो स्पष्ट होता है कि आंखिरकर उसने गांधी जी को क्यों मारा ।।आप अपनी राय कॉमेंट के माध्यम से जरूर साझा करें।।

Thanks!
@Jeewan


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Thanks for your valuable time.